गरज उठे गगन सारा, समुद्र छोड़ें अपना किनारा, हे मां..! तुमसे विश्वास ना उठने देना, तेरी दुनिया में भय से जब सिमट जाऊं, चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा घना पाऊं, बन के रोशनी तुम राह दिखा देना । माँ तो आखिर माँ हैं माँ तो हर मजबूर की सुनती हैं https://sites.google.com/view/navratrishayari/