चाहे राधा हो या हो मीरा, सबके हिस्से में आई ये तन्हाई। इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !! धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है…” आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी Your browser isn’t supported any more. Update it to obtain the best YouTube practical experience and https://youtu.be/Lug0ffByUck